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टांगीनाथ

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टांगीनाथ, जहां है साक्षात शिव का निवास टांगीनाथ मंदिर को लेकर कई दिलचस्प कथाएं कही जाती हैं. और मान्यता ये भी है कि यहां खुद भगवान शिव निवास करते हैं... झारखंड के गुमला जिले में भगवान परशुराम का तप स्थल है. यह जगह रांची से करीब 150 किमी दूर है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान परशुराम ने यहां शिव की घोर उपासना की थी. यहीं उन्होंने अपने परशु यानी फरसे को जमीन में गाड़ दिया था. इस फरसे की ऊपरी आकृति कुछ त्रिशूल से मिलती-जुलती है. यही वजह है कि यहां श्रद्धालु इस फरसे की पूजा के लिए आते है वहीं शिव शंकर के इस मंदिर को टांगीनाथ धाम के नाम से जाना जाता है. कहा जाता है कि टांगीनाथ धाम में साक्षात भगवान शिव निवास करते हैं. जंगल में स्थ‍ित है मंदिर  झारखंड के इस बियावान और जंगली इलाके में शिवरात्रि के अवसर पर ही श्रद्धालु टांगीनाथ के दर्शन के लिए आते हैं. यहां स्थ‍ित एक मंदिर में भोलेनाथ शाश्वत रूप में हैं. स्थानीय आदिवासी ही यहां के पुजारी है और इनका कहना है कि यह मंदिर अत्यंत प्राचीन है. मान्यता है महर्षि परशुराम ने यहीं अपने परशु यानी फरसे को गाड़ दिया था. स्थानीय लोग इसे

सती के त्याग का गवाह है माया देवी शक्तिपीठ

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सती के त्याग का गवाह है माया देवी शक्तिपीठ हरिद्वार में त्रिदेव वास करते हैं, लेकिन मोक्ष की इस नगरी में ही एक शक्तिपीठ भी है जो सती के त्याग की गवाह है. यह शक्तिपीठ सती के शिव के प्रति प्रेम का भी गवाह है. हरिद्वार का माया देवी शक्तिपीठ 51 शक्तिपीठों में से एक है, जहां सती की नाभि गिरी थी. हरिद्वार में त्रिदेव वास करते हैं, लेकिन मोक्ष की इस नगरी में ही एक शक्तिपीठ भी है जो सती के त्याग का गवाह है. यह शक्तिपीठ सती के शिव के प्रति प्रेम का भी गवाह है. हरिद्वार का माया देवी शक्तिपीठ 51 शक्तिपीठों में से एक है, जहां सती की नाभि गिरी थी. देवनगरी हरिद्वार में पतित पावनी गंगा भक्तों के पाप धोती है. शिव की जटाओं से निकली मोक्षदायिनी गंगा के स्पर्श से महाकुंभ की इस नगरी का महत्व और ज्यादा बढ़ जाता है. कहते हैं यहीं ब्रह्मा, विष्णु और महेश वास करते हैं और इसी धर्म नगरी में बसा है वो स्थान जो सुनाता है सती के क्रोध और शिव का अपमान न झेल पाने के बाद सती के आत्मदाह की कहानी. सती और शिव का संबंध अटूट है. भगवान भोले में बसती हैं सती और शक्ति के हृदय में रहते हैं शिव. लेकिन सती की अग

उलटे हनुमानजी का मंदिर

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यहां है उलटे हनुमानजी का मंदिर हनुमान भक्‍तों के बीच इस मंदिर की बहुत मान्‍यता है इंदौर में स्थित है यह मंदिर  उलटे हनुमान जी का मन्दिर इंदौर के सांवरे नामक स्थान पर स्थापित है. माना जाता है कि यह मंदिर रामायण काल के समय का है. मंदिर में भगवान हनुमान की उलटे मुख वाली सिंदूर से सजी मूर्ति विराजमान है. सांवेर का  हनुमान मंदिर हनुमान भक्तों  का महत्वपूर्ण स्थान है. यहां आकर भक्त भगवान के अटूट भक्ति में लीन होकर सभी चिंताओं से मुक्त हो जाते हैं. भगवान हनुमान के सभी मंदिरों में से अलग यह मंदिर अपनी विशेषता के कारण ही सभी का ध्यान अपनी ओर खींचता है. इस रूप के पीछे यह कथा है लोकप्रिय कहा जाता है कि जब रामायण काल में भगवान श्री राम व रावण का युद्ध हो रहा था तब अहिरावण ने एक चाल चली. उसने रूप बदल कर अपने को राम की सेना में शामिल कर लिया और जब रात्रि समय सभी लोग सो रहे थे तब अहिरावण ने अपनी जादुई शक्ति से श्री राम एवं लक्ष्मण जी को मूर्छित कर उनका अपहरण कर लिया. वह उन्हें अपने साथ  पाताल लोक में ले गया  और जब वानर सेना को इस बात का पता चलता है तो चारों ओर हड़कंप मच गया.  हनुमान

Bayon

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Hinduism was once one of the Khmer Empire's official religions. The Bayon is a richly decorated Khmer temple at Angkor in Cambodia. Built in the late 12th or early 13th century as the state temple of the Mahayana Buddhist King Jayavarman VII , the Bayon stands at the centre of Jayavarman's capital, Angkor Thom. Following Jayavarman's death, it was modified and augmented by later Hindu and Theravada Buddhist kings in accordance with their own religious preferences. The Bayon's most distinctive feature is the multitude of serene and smiling stone faces on the many towers which jut out from the upper terrace and cluster around its central peak.The temple has two sets of bas-reliefs, which present a combination of mythological, historical, and mundane scenes.

PART2&3 , Historical Connection between South Korea & Ayodhya ( India )

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#PART2 , Historical Connection between South Korea & Ayodhya ( India ) In South Korea, her tomb is located in #Kimhae and there is a stone pagoda in front of it. It is said that the pagoda is made of stones that she brought from #Ayodhya #PART3 #LAST Historical connection between South Korea & Ayodhya ( India ) Describing how she landed in Gaya when she first met the king, she said that the heavenly lord (Sange Je) appeared in her parents’ dreams and told them to send her to the Korea as the king had not found a queen yet. Legend states that the queen died at the age of 157. During Prime Minister #NarendraModi’s visit to #SouthKorea in May last year, the two countries  that a bigger monument of the princess will be built in Ayodhya., During a meeting with the Korean delegation, Uttar Pradesh Ex CM #AkhileshYadav said that the memorial would be constructed according to the Korean architecture. He asked Kim Ki-jae, President of Central Karak Clan Society, to pro

PART1 Historical connection between SouthKoreans & Ayodhya in India

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#PART1 Is there any Historical connection between  #SouthKoreans &  #Ayodhya in India? The holy city of Ayodhya, in Uttar Pradesh, plays host to hundreds of South Koreans every year – who come to pay their tributes to the legendary queen Hur Hwang-ok. According to legend, queen Hur Hwang-ok, also known as Princess Suriratna, was the princess of Ayodhya before she went to South Korea and married King Kim Suro of Karak Clan in 48 AD. It is believed that she reached Korea on a boat, and was the first queen of King Suro of Geumgwan Gaya. She was 16-year-old when she got married and is considered the first queen of Gaya Kingdom It is because of the presence of her monument in Ayodhya that around 60 lakh people of the Karak clan consider the city as their maternal home. The memorial was first inaugurated in 2001 in Ayodhya and more than a hundred historians and government representatives, including the North Korean ambassador to India, were present during the ceremony. Seven mill

Haldighati

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in 1576, A blood - bathed war took place in haldighati, Rajasthan,  India. one side of the coin was the great mughal emperor Akbar and the other was his sworn enemy, Maharana Pratap, king of Mewar, in the present state of Rajasthan. The Amazing fact is That, in this battle, The commander - in - Chief of Akbar  was a hindu,  Raja Maan Singh, king of Amer, (now known as Jaipur, capital city of Rajasthan) and Maharana Pratap's Commander was a pathan, Hakim Khan Sur. A great alma mater,  history is. It teaches us many things.  The supreme truth,  however,  it inculcates, there is no religion in this world except humanity though we tend to forget it each and every fraction of a second. that's why the history is made. so, Mitra' s Take: History is our collective forgetfulness about humanity. or, a mere journey towards IT? what do you think? uhh, the astonishing part is yet to be told. In this battle,  an artificial trunk is attached to the face of Chetak ( the brave,  supe